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मंगलवार, 1 मई 2018

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस: 01 मई



भारत में श्रमिक दिवस को कामकाजी आदमी व् महिलाओं के सम्मान में मनाया जाता है. मजदूर दिवस को पहली बार भारत में मद्रास (जो अब चेन्नई है) में 1 मई 1923 को मनाया गया था, इसकी शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ़ हिंदूस्तान ने की थी. इस मौके पर पहली बार भारत में आजादी के पहले लाल झंडा का उपयोग किया गया था.इस पार्टी के लीडर सिंगारावेलु चेत्तिअर ने इस दिन को मनाने के लिए 2 जगह कार्यकर्म आयोजित किये थे. पहली मीटिंग ट्रिपलीकेन बीच में व् दूसरी मद्रास हाई कोर्ट के सामने वाले बीच में आयोजित की गई थी. सिंगारावेलु ने यहाँ भारत के सरकार के सामने दरख्वास्त रखी थी कि 1 मई को मजदूर दिवस घोषित कर दिया जाये, साथ ही इस दिन नेशनल हॉलिडे रखा जाये. उन्होंने राजनीती पार्टियों को अहिंसावादी होने भी पर बल दिया था.


विश्व में मजदूर दिवस की उत्पत्ति –
1 मई 1986 में अमेरिका के सभी मजदूर संघ साथ मिलकर ये निश्चय करते है कि वे 8 घंटो से ज्यादा काम नहीं करेंगें, जिसके लिए वे हड़ताल कर लेते है. इस दौरान श्रमिक वर्ग से 10-16 घंटे काम करवाया जाता था, साथ ही उनकी सुरक्षा का भी ध्यान नहीं रखा जाता था. उस समय काम के दौरान मजदूर को कई चोटें भी आती थी, कई लोगों की तो मौत हो जाया करती थी. काम के दौरान बच्चे, महिलाएं व् पुरुष की मौत का अनुपात बढ़ता ही जा रहा था, जिस वजह से ये जरुरी हो गया था कि सभी लोग अपने अधिकारों के हनन को रोकने के लिए सामने आयें और एक आवाज में विरोध प्रदर्शन करें.

इस विरोध का अमेरिका में तुरंत परिणाम नहीं मिला, लेकिन कर्मचारियों व् समाजसेवियों की मदद के फलस्वरूप कुछ समय बाद भारत व अन्य देशों में 8 घंटे वाली काम की पद्धति को अपनाया जाने लगा. तब से श्रमिक दिवस को पुरे विश्व में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाने लगा, इस दिन मजदूर वर्ग तरह तरह की रेलियां निकालते व् प्रदर्शन करते है.


भारत में मजदूर दिवस कब मनाया जाता है?  (Labour Day Date )–
1 मई को मजदूर दिवस (Labour Day) के तौर पर मनाया जाता हैं और इस दिन सभी का अन्तराष्ट्रीय अवकाश होता हैं  .

बाल श्रम पर कविता 
 (Child Labor Day Poem)

किस गुमनाम अँधेरे में ,
ऐ भारत तू पनप रहा।

जहाँ यूवा बल ही हैं शक्ति ,
कैसे अँधेरा गहरा रहा।

जिन हाथों होना था कलम दवात ,
वो कैसे ईट गारों में सन रहा।

कैसे मासूम सा फ़रिश्ता ,
दो वक्त की कमाने निकल रहा।

किन कंधो पर बोझ डाल,
ऐ जीवन तू गुजर रहा।

जो ममता के आँचल में खिलना था
वो कैसे कीचड़ से लिपट रहा ।

जिन मासूम की आँखों में ,
कोई सपना भी भूल कर ना आये।

जिन नन्हों के जीवन में ,
कोई अक्षर ज्ञान भी ना छाये।

जिनके कोमल बचपन पर ,
बस मज़बूरी ही लहराए।

ऐसे अभागे बचपन ही ,
बाल श्रमिक कहलाये।
  बाल श्रमिक कहलाये.।।।

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