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गुरुवार, 29 मार्च 2018

महावीर जयंती 2018


                          महावीर जयंती 2018

महावीर जयंती इस वर्ष  29 मार्च 2018( गुरुवार) को मनाया जाएगा।महावीर जयन्ती का पर्व महावीर स्वामी के जन्म दिन के रूप में चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है।इस महोत्सव पर जैन मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। भारत में कई जगहों पर जैनों द्वारा अहिंसा रैली निकाली जाती है। इस अवसर पर गरीब एवं जरुरतमंदों को दान दिया जाता है। कई राज्यों में मांस एवं मदिरा की दुकाने बंद रखने के निर्देश दिए जाते हैं।


भगवान महावीर का जीवन परिचय Life of Lord Mahavir in Hindi -
महावीर स्वामी


जैन धर्म भारत की श्रमण परंपरा से निकला धर्म है .जैन धर्म में २४ तीर्थंकर हुए हैं ,जिनमें २४ वें तीर्थंकर महावीर स्वामी माने जाते हैं . इन्हें जैन धर्म का वास्तविक स्वामी माना जाता है . इनका वास्तविक नाम वर्धमान था .इनका जन्म ५४० ई.पू. में वैशाली के निकट कुंडग्राम में हुआ था . इनके पिता सिद्धार्थ ग्र्यातक कुल के राजा थे और माता का नाम त्रिशाला था .  संसार की अवस्था से दुखी होकर आपने ३० वर्ष की अवस्था में बड़े भाई नन्दिवर्धन से आज्ञा लेकर गृहत्याग कर दिया . ४२ वर्ष की आयु में ज्रिम्भिक ग्राम से रिजुपालिका नदी के किनारे साल वृक्ष के नीचे उन्हें कैवल्य की प्राप्ति हुई . इसके बाद वे कैव्लिन कहलाये . सभी इन्द्रियों पर विजय के कारण इन्हें जिन कहा गया . ज्ञान प्राप्ति के बाद महावीर ने अपना प्रथम उपदेश राजगृह जे निकट मेघकुमार को दिया .जमाली इनका प्रथम शिष्य बना .चंपा नरेश दधिवाहन की पुत्री चन्द्रना इनकी प्रथम भिक्षुणी बनी . तत्कालीन शासकों में चेतक , दधिवाहन ,बिमिबिसार ,अजातशत्रु ,उद्यान ,चंद प्रद्योत की आस्था जैन धर्म में थी .इनका महापरिनिर्वाण ७२ वर्ष की आयु में पावा राजगृह के पास मल्लराजा सस्तिपाल के राजप्रसाद में ४६८ ई.पू. में हुआ .

महावीर स्वामी की शिक्षाएं  -

महावीर स्वामी ने संसार को दुःख से पूर्ण माना . मनुष्य मृत्यु से आक्रांत है ,उसे तमाम तरह की वासनाएं घेरे रहती हैं . यही उसके दुःख का कारण है . संसार के सभी प्राणी अपने कर्मों के अनुसार फल भोगते हैं .कर्मफल से छुटकारा पाने से ही निर्वान प्राप्ति हो सकती हैं . अतः उन्होंने त्रिरत्न की प्राप्ति का लक्ष्य दिया -

१. सम्यक ज्ञान
२. सम्यक दर्शन
३. सम्यक आचरण


जैन धर्म के अनुसार कर्मों के आधार पर सभी सांसारिक प्राणियों को फल की प्राप्ति होती है . जन्म और मृत्यु का कारण कर्मफल है .निर्वान की प्राप्ति इससे मुक्त होकर ही की जा सकती है इसीलिए अन्तकरण की शुद्धि ,ब्राह्य शुद्धि से अधिक महत्वपूर्ण हैं  . सदाचार व सच्चरित्र उनके मूल आधार है . वास्तव में जैन धर्म अनीश्वरवादी एवं निव्रित्तिवादी है . अतः ईश्वर सृष्टिकर्ता नहीं है .कर्म जीवन में महत्वपूर्ण है .

महावीर जयंती Mahavir Jayanti Details in Hindi -

महावीर जयन्ती का पर्व महावीर स्वामी के जन्म दिन के रूप में चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस महोत्सव पर जैन मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। भारत में कई जगहों पर जैनों द्वारा अहिंसा रैली निकाली जाती है। इस अवसर पर गरीब एवं जरुरतमंदों को दान दिया जाता है। कई राज्यों में मांस एवं मदिरा की दुकाने बंद रखने के निर्देश दिए जाते हैं।इस अवसर पर जैन धर्म के लोग  भगवान को फल, चावल, जल, सुगन्धित द्रव्य आदि वस्तुएं अर्पित करते हैं।

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