हाइलाइट्स
- सरकार का कर्ज साढ़े चार साल में 50 फीसदी बढ़कर 82 लाख करोड़ पर पहुंचा
- जून 2014 में सरकार पर कुल कर्ज का आंकड़ा 54,90,763 करोड़ रुपये
- सरकार पर कर्ज में भारी बढ़ोतरी की वजह पब्लिक डेट में 51.7 फीसदी की वृद्धि
- नवंबर तक राजकोषीय घाटा पूरे साल के 6.24 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य के 114.8 फीसदी पर
नई दिल्ली
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार कई तरह की लोकलुभावन योजनाओं पर विचार कर रही है। दूसरी तरफ, देश का राजकोषीय घाटा भी बढ़ रहा है। इस बीच एक और चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसके मुताबिक मोदी सरकार के कार्यकाल में देश पर कर्ज में 49 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
शुक्रवार को केंद्र सरकार के कर्ज पर स्टेटस रिपोर्ट का आठवां संस्करण जारी हुआ, जिसके मुताबिक केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार के बीते साढ़े चार साल के कार्यकाल के दौरान सरकार पर कर्ज 49 फीसदी बढ़कर 82 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। सरकार के कर्ज पर वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, जून 2014 में सरकार पर कुल कर्ज का आंकड़ा 54,90,763 करोड़ रुपये था, जो सितंबर 2018 में बढ़कर 82,03,253 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
सरकार पर कर्ज में भारी बढ़ोतरी की वजह पब्लिक डेट में 51.7 फीसदी की वृद्धि है, जो विगत साढ़े चार वर्षों में 48 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 73 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। पब्लिक डेट में यह बढ़ोतरी इंटरनल डेट में 54 फीसदी की बढ़ोतरी की वजह से हुई है, जो लगभग 68 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार कई तरह की लोकलुभावन योजनाओं पर विचार कर रही है। दूसरी तरफ, देश का राजकोषीय घाटा भी बढ़ रहा है। इस बीच एक और चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसके मुताबिक मोदी सरकार के कार्यकाल में देश पर कर्ज में 49 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
शुक्रवार को केंद्र सरकार के कर्ज पर स्टेटस रिपोर्ट का आठवां संस्करण जारी हुआ, जिसके मुताबिक केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार के बीते साढ़े चार साल के कार्यकाल के दौरान सरकार पर कर्ज 49 फीसदी बढ़कर 82 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। सरकार के कर्ज पर वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, जून 2014 में सरकार पर कुल कर्ज का आंकड़ा 54,90,763 करोड़ रुपये था, जो सितंबर 2018 में बढ़कर 82,03,253 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
सरकार पर कर्ज में भारी बढ़ोतरी की वजह पब्लिक डेट में 51.7 फीसदी की वृद्धि है, जो विगत साढ़े चार वर्षों में 48 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 73 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। पब्लिक डेट में यह बढ़ोतरी इंटरनल डेट में 54 फीसदी की बढ़ोतरी की वजह से हुई है, जो लगभग 68 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई।