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शुक्रवार, 30 मार्च 2018

शुक्रवार, मार्च 30, 2018

29 March 2018 Current Affairs

राष्ट्रीय समाचार

1. भारत ने GSAT-6A संचार उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च किया
i. ISRO ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC) से GSAT6A संचार उपग्रह के साथ GSLV-F08 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है. आज का प्रक्षेपण ने इसरो की गृह-निर्मित संचार उपग्रह बनाने की तकनीक में सफलता का एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है. GSAT -6A उपग्रह को रॉकेट के लिफ्ट ऑफ के 17 मिनट बाद कक्षा में स्थापित किया गया.
ii. GSLV Mk II (F08)  ने GSAT-6A के साथ श्रीहरिकोटा में दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरी. आज के प्रक्षेपण ने  भू-तुल्यकालिक सैटेलाइट लॉन्च वाहन GSLV-F08 की 12 वीं उड़ान और स्वदेशी क्रायोजेनिक ऊपरी चरण के साथ छठी उड़ान को चिह्नित किया.
डॉ. के सिवन इसरो के अध्यक्ष हैं.
ISRO का पूर्ण रूप Indian Space Research Organization है.
ISRO का मुख्यालय- बेंगलुरु
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2. हरसिमरत कौर बादल ने अजमेर में राजस्थान के पहले मेगा फूड पार्क का उद्घाटन किया
i. राजस्थान में, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग केंद्रीय मंत्री हरसिम्रत कौर बादल ने राज्य के पहले मेगा फूड पार्क का उद्घाटन अजमेर के निकट रूपगढ़ गांव में किया है. 113.57 करोड़ रुपये के निवेश पर फूड पार्क स्थापित किया गया है और इससे अजमेर और पड़ोसी जिलों में करीब 25 हजार किसानों को फायदा होगा. केंद्र ने इस परियोजना के लिए 50 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी है.
ii. मेगा फूड पार्क में करीब 250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश होगा. पार्क में लगभग 30 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में प्रति वर्ष लगभग 500 करोड़ रुपए का कारोबार होगा.

हर्सिम्रत कौर बादल बठिंडा, पंजाब से संसदीय सदस्य हैं.
कल्याण सिंह राजस्थान के गवर्नर हैं.

3. सीसीईए ने शिक्षा ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम जारी रखने की मंजूरी दी
i. आर्थिक मामलों के मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने शिक्षा ऋण योजना के लिए ऋण गारंटी योजना को जारी रखने और 2017-18 से 2019-20 तक 6,600 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ केंद्रीय क्षेत्र की ब्याज सब्सिडी योजना को जारी रखने और संशोधित करने की मंजूरी दे दी है. इस स्कीम में पेशेवर और तकनीकी पाठ्यक्रमों को चलाने के लिए गुणवत्ता की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ऋण शामिल होंगे.
ii. सीईए ने 1 अप्रैल, 2018 से 31 मार्च 2020 तक सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान और शिक्षक शिक्षा को शामिल करके स्कूल शिक्षा पर एक एकीकृत योजना तैयार करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इसके लिए 75,000 करोड़ रुपये का अनुमानित आवंटन मंजूर किया गया है जिसमें वर्तमान आवंटन से 20 प्रतिशत की बढ़त हुई है.

4. पूर्वोत्तर में विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए कैबिनेट ने 4,500 करोड़ रुपये को मंजूरी दी
i. मंत्रिमंडल ने पूर्वोत्तर परिषद (NEC) की मौजूदा योजनाओं को जारी रखते हुए योजनाओं को मंजूरी दे दी है. इससे उत्तर-पूर्व में विकास परियोजनाओं को बढ़ावा मिलेगा मार्च 2020 तक तीन वर्षों के लिए इस योजना के लिए चार हजार पांच सौ करोड़ रुपये मंजूर किये गए हैं.
ii. एनईसी की योजना-विशेष विकास परियोजना को केन्द्रीय क्षेत्र योजना में परिवर्तित किया जाएगा, जिसमें 100 प्रतिशत का अनुदान होगा.
उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्रालय भारत सरकार की एक सरकार है, जिसे सितंबर 2001 में स्थापित किया गया था.
जितेन्द्र सिंह उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्रालय के लिए राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं.
पूर्वोत्तर भारत में आठ राज्य शामिल हैं: अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम एंड त्रिपुरा.

5. नीति आयोग ने 115 महत्वाकांक्षी जिलों की आधारभूत रैंकिंग की शुरूआत की
i. नीति आयोग ने पांच क्षेत्रों में 49 संकेतों के आधार पर 115 महत्वाकांक्षी जिलों के लिए आधारभूत रैंकिंग शुरू की है जिसमें स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन, वित्तीय समावेश और कौशल विकास और बुनियादी ढांचा शामिल हैं.
ii. यह इन जिलों की डेल्टा रैंकिंग मई 2018 से उनकी प्रगति की वृद्धि के आधार पर किया जायेगा.

6. ईपीएफओ ने पेंशनभोगी के लिए पोर्टल लॉन्च किया

i. ईपीएफओ ने पेंशनभोगी के पोर्टल को लॉन्च किया है जिसके माध्यम से सभी ईपीएफओ पेंशनरों को पेंशन से संबंधित जानकारी का विवरण मिल सकता है. पेंशनभोगी के पोर्टल हाल ही में शुरू की गई सेवा है जहां पेंशन भुगतान आदेश संख्या, भुगतान आदेश विवरण, पासबुक जानकारी और अन्य संबंधित जानकारी जैसे विवरण उपलब्ध हैं.
ii. सदस्यों की सुविधा के लिए बेहतर किया गया "ट्रैक ईकेवाईसी" सुविधा भी उनके यूएएन के लिए आधारभूत आधार की स्थिति की जांच के लिए शुरू की गई है. यह सुविधा ईपीएफओ की वेबसाइट www.epfindia.gov.in पर उपलब्ध कराई गई है.
EPFO में, सीईओ को Central Provident Fund Commissioner के नाम से जाना जाता है.
डॉ.वी.पी जॉय वर्तमान सेंट्रल प्रोविडेंट फण्ड कमिश्नर हैं.
ईपीऍफ़ओ का मुख्यालय नयी दिल्ली में है.
अर्थव्यवस्था/बैंकिंग/वित्तीय

7. आईसीआईसीआई बैंक पर आरबीआई ने 58.9 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया
i. भारतीय रिजर्व बैंक ने आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड पर 58.9 करोड़ रुपये का मौद्रिक दंड लगाया है  आरबीआई द्वारा जारी किए गए निर्देशों में,बैंक पर नियामक के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए हेल्ड टू  मेच्योरिटी सिक्टोरिटीज (एचटीएम) की बिक्री करने पर यह जुर्माना लगाया गया है.
ii. सेंट्रल बैंक ने कहा है कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के प्रावधानों के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक के पास निहित शक्तियों के प्रयोग में दंड लगाया गया है, जिससे बैंक अपने दिशा-निर्देशों का पालन करने में विफल हो गया है.
ICICI Bank का विस्तृत रूप है: Industrial Credit and Investment Corporation of India.
चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक के एमडी और सीईओ हैं.
आईसीआईसीआई बैंक का मुख्यालय: मुंबई

8. सेबी ने स्टॉक डेरिवेटिव के भौतिक निपटान की अनुमति दी

i. शेयर बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने स्टॉक ऑप्शंस और स्टॉक फ्यूचर दोनों के भौतिक निपटान की अनुमति दी है. वर्तमान में केवल डेरिवेटिव के नकदी निपटान की अनुमति है.
ii. सेबी ने कहा कि स्टॉक एक्सचेंजों में स्टॉक ऑप्शंस के लिए नकदी निपटान के संयोजन और शेयर विकल्प के लिए भौतिक निपटान या स्टॉक विकल्प के लिए भौतिक निपटान और स्टॉक फ्यूचर्स के लिए नकद निपटान के संयोजन की पेशकश करने के लिए लचीलापन भी होगा.
सेबी की स्थापना 12 अप्रैल 1992 है.
सेबी का मुख्य कार्यालय मुंबई में है.
अजय त्यागी सेबी के चेयरमैन हैं.

9. सरकार ने 20 लाख टन चीनी के निर्यात को मंजूरी दी
i. सरकार ने 2017-18 मार्केटिंग ईयर के अंत तक 20 लाख टन चीनी का निर्यात करने की अनुमति दे दी है. चीनी मिलों को अतिरिक्त बकाया स्टॉक निपटाने का मौका देने के लिए सरकार ने यह फैसला किया है. इसके अलावा केन्द्र सरकार के इस फैसले से चीनी मिलों के पास पैसा आएगा, जिससे उन्हें गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान करने में आसानी होगी.
ii. सरकार ने सितंबर 2018 तक व्हाइट शुगर के ड्यूटी फ्री आयात को मंजूरी दे दी है. सरकार ने ड्यूटी फ्री इंपोर्ट अथॉराइजेशन स्कीम (DFIA)  के तहत सफेद चीनी के निर्यात की अनुमति दी है. इस स्कीम के तहत निर्यातकों को तीन साल के भीतर शून्य शुल्क पर चीनी आयात करने की अनुमति है.

गुरुवार, 29 मार्च 2018

गुरुवार, मार्च 29, 2018

महावीर जयंती 2018


                          महावीर जयंती 2018

महावीर जयंती इस वर्ष  29 मार्च 2018( गुरुवार) को मनाया जाएगा।महावीर जयन्ती का पर्व महावीर स्वामी के जन्म दिन के रूप में चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है।इस महोत्सव पर जैन मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। भारत में कई जगहों पर जैनों द्वारा अहिंसा रैली निकाली जाती है। इस अवसर पर गरीब एवं जरुरतमंदों को दान दिया जाता है। कई राज्यों में मांस एवं मदिरा की दुकाने बंद रखने के निर्देश दिए जाते हैं।


भगवान महावीर का जीवन परिचय Life of Lord Mahavir in Hindi -
महावीर स्वामी


जैन धर्म भारत की श्रमण परंपरा से निकला धर्म है .जैन धर्म में २४ तीर्थंकर हुए हैं ,जिनमें २४ वें तीर्थंकर महावीर स्वामी माने जाते हैं . इन्हें जैन धर्म का वास्तविक स्वामी माना जाता है . इनका वास्तविक नाम वर्धमान था .इनका जन्म ५४० ई.पू. में वैशाली के निकट कुंडग्राम में हुआ था . इनके पिता सिद्धार्थ ग्र्यातक कुल के राजा थे और माता का नाम त्रिशाला था .  संसार की अवस्था से दुखी होकर आपने ३० वर्ष की अवस्था में बड़े भाई नन्दिवर्धन से आज्ञा लेकर गृहत्याग कर दिया . ४२ वर्ष की आयु में ज्रिम्भिक ग्राम से रिजुपालिका नदी के किनारे साल वृक्ष के नीचे उन्हें कैवल्य की प्राप्ति हुई . इसके बाद वे कैव्लिन कहलाये . सभी इन्द्रियों पर विजय के कारण इन्हें जिन कहा गया . ज्ञान प्राप्ति के बाद महावीर ने अपना प्रथम उपदेश राजगृह जे निकट मेघकुमार को दिया .जमाली इनका प्रथम शिष्य बना .चंपा नरेश दधिवाहन की पुत्री चन्द्रना इनकी प्रथम भिक्षुणी बनी . तत्कालीन शासकों में चेतक , दधिवाहन ,बिमिबिसार ,अजातशत्रु ,उद्यान ,चंद प्रद्योत की आस्था जैन धर्म में थी .इनका महापरिनिर्वाण ७२ वर्ष की आयु में पावा राजगृह के पास मल्लराजा सस्तिपाल के राजप्रसाद में ४६८ ई.पू. में हुआ .

महावीर स्वामी की शिक्षाएं  -

महावीर स्वामी ने संसार को दुःख से पूर्ण माना . मनुष्य मृत्यु से आक्रांत है ,उसे तमाम तरह की वासनाएं घेरे रहती हैं . यही उसके दुःख का कारण है . संसार के सभी प्राणी अपने कर्मों के अनुसार फल भोगते हैं .कर्मफल से छुटकारा पाने से ही निर्वान प्राप्ति हो सकती हैं . अतः उन्होंने त्रिरत्न की प्राप्ति का लक्ष्य दिया -

१. सम्यक ज्ञान
२. सम्यक दर्शन
३. सम्यक आचरण


जैन धर्म के अनुसार कर्मों के आधार पर सभी सांसारिक प्राणियों को फल की प्राप्ति होती है . जन्म और मृत्यु का कारण कर्मफल है .निर्वान की प्राप्ति इससे मुक्त होकर ही की जा सकती है इसीलिए अन्तकरण की शुद्धि ,ब्राह्य शुद्धि से अधिक महत्वपूर्ण हैं  . सदाचार व सच्चरित्र उनके मूल आधार है . वास्तव में जैन धर्म अनीश्वरवादी एवं निव्रित्तिवादी है . अतः ईश्वर सृष्टिकर्ता नहीं है .कर्म जीवन में महत्वपूर्ण है .

महावीर जयंती Mahavir Jayanti Details in Hindi -

महावीर जयन्ती का पर्व महावीर स्वामी के जन्म दिन के रूप में चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस महोत्सव पर जैन मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। भारत में कई जगहों पर जैनों द्वारा अहिंसा रैली निकाली जाती है। इस अवसर पर गरीब एवं जरुरतमंदों को दान दिया जाता है। कई राज्यों में मांस एवं मदिरा की दुकाने बंद रखने के निर्देश दिए जाते हैं।इस अवसर पर जैन धर्म के लोग  भगवान को फल, चावल, जल, सुगन्धित द्रव्य आदि वस्तुएं अर्पित करते हैं।
गुरुवार, मार्च 29, 2018

भारत मे गरीबी

                                  भारत में गरीबी

                                 Poverty in India

यदि हम भारत में किसी महानगर में जैसे दिल्ली ,कोल्कता ,मुम्बई ,पुणे ,बंगलुरु या कानपुर आदि तो हम वहां गगनचुंबी इमारते ,बड़ी बड़ी सड़कें ,भरी यातायात और चमकती दुकाने आदि पायेंगें ,लेकिन यदि थोड़ी गहराई से देखा जाय तो पायेंगे की बड़ी संख्या में भिखारी और झुग्गी झोपड़ी वाले बस्तियां भी खूब मिल जायेगी .
                    
                                भारत में गरीबी

झोपड़पट्टी और भिखारी हर शहर और कस्बें का हिस्सा बन गए हैं . यह हमारे शहरी क्षेत्रों की तस्वीर है और यदि आप गांवों में जाते हैं तो पायेंगे की वहां किसान बेचारे खेतों में खूब पसीना बहाकर मेहनत कर रहे हैं किन्तु इसके बावजूद वे इतना नहीं कम पाते हैं कि उनका पेट भर सके .उनमें कई तो बंधुवा मजदूर होते हैं .उनके पास जमीं का जो छोटा टुकड़ा होता हैं वह भी महाज़नों द्वारा इसीलिए हड़प लिया जाता हैं कि उनके पिता ने अथवा दादा ने उस ज़मींदार से ब्याज पर थोड़ी सी रकम कर्जे के तौर पर ली थी .चूँकि वे पढ़े - लिखे नहीं होते हैं इसीलिए वे यह नहीं समझ पाते हैं कि उस कागज़ात में क्या लिखा था जिस पर उन्होंने हस्ताक्षर किये थे . इस प्रकार से उन्हें महाज़नों का बंधुवा मजदूर बनना पड़ता हैं .

अधिकांश किसानों के पास अत्यंत छोटे भूखंड या खेत होते हैं और उनके परिवार इतने बड़े होते हैं कि वे पेटभर भोजन का जुगाड़ भी नहीं कर पाते हैं . अतः वे विकास और प्रगति की किसी गुंजाइश के बिना पिछड़े और गरीब ही बने रहते हैं . उनके बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं और खेतों में मजदूर के तौर पर काम करते हैं .यह दुर्दशा का कभी न ख़त्म होने वाला दुष्चक्र है .

भारत में गरीबी का सबसे दारुण स्वरूप फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों और रद्दी बीनने वालों की ज़िन्दगी में देखा जा सकता हैं . ये बच्चे अनाथ होते हैं और इनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं होता है . वे गली कुचे में रहते हैं ,फुटपाथों पर सोते हैं और भीख माँगकर अथवा चोरी करके अपना गुज़ारा करते हैं .रद्दी बीनने वाले तो संभवतः सबसे गन्दा काम करते हैं .वे कचरे के डिब्बों से छोटी मोटी चीजें दूंधकर निकलते हैं .

ऐसे हालात में सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि भारत के स्वतंत्रता के ७० वार्स से ज्यादा वर्ष बीत चुके हैं किन्तु इन लोगों के जीवन में कोई बदलाव या परिवर्तन नहीं आया है और वे अमानवीय स्थितियों में जीने के लिए अभिशप्त हैं .दूसरी ओर आमिर लोग दिनोंदिन और अमीर होते जा रहे हैं और विलासिता से भरपूर जीवन जी रहे हैं और अनाप - शानाप खर्च कर रहे हैं . हम प्रगति का दावा तो करते हैं किन्तु क्या हम सचमुच में प्रगति या विकास का अर्थ जानते हैं ? इस प्रश्न का उत्तर आज की सरकारों और पढ़े लिखे लोगों को खोजना होगा .

रविवार, 10 दिसंबर 2017

रविवार, दिसंबर 10, 2017

बाल-केन्द्रित शिक्षा

बाल-केन्द्रित शिक्षा
September 26, 2016
बाल-केन्द्रित तथा प्रगतिशील शिक्षा

बालक के मनोविज्ञान को समझते हुए शिक्षण की व्यवस्था करना तथा उसकी अधिगम सम्बन्धी कठिनाइयों को दूर करना बाल केन्द्रित शिक्षण कहलाता है. अर्थात बालक की रुचियों, प्रवृत्तियों, तथा क्षमताओं को ध्यान में रखकर शिक्षा प्रदान करना ही बाल केन्द्रित शिक्षा कहलाता है. बाल केन्द्रित शिक्षण में व्यतिगत शिक्षण को महत्त्व दिया जाता है. इसमें बालक का व्यक्तिगत निरिक्षण कर उसकी दैनिक कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास क्या जाता है. बाल केन्द्रित शिक्षण में बालक की शारीरिक और मानसिक योग्यताओं के विकास के अधर पर शिक्षण की जाती है तथा बालक के व्यवहार और व्यक्तित्व में असामान्यता के लक्षण होने पर बौद्धिक दुर्बलता, समस्यात्मक बालक, रोगी बालक, अपराधी बालक इत्यादि का निदान किया जाता है.
मनोविज्ञान के आभाव में शिक्षक मार-पीट के द्वारा इन दोषों को दूर करने का प्रयास करता है, परंतु बालक को समझने वाला शिक्षक यह जानता है कि इन दोषों का आधार उनकी शारीरिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं में ही कहीं न कहीं है. इसी व्यक्तिक भिन्नता की अवधारणा ने शिक्षा और शिक्षण प्रक्रिया में व्यापक परिवर्तन किया है. इसी के कारण बाल-केन्द्रित शिक्षा का प्रचालन शुरू हुआ.

बाल केन्द्रित शिक्षण के सिद्धांत


बालकों को क्रियाशील रखकर शिक्षा प्रदान करना. इससे किसी भी कार्य को करने में बालक के हाथ, पैर और मस्तिष्क सब क्रियाशील हो जाते हैं.
इसके अंतर्गत बालकों को महापुरुषों, वैज्ञानिकों का उदहारण देकर प्रेरित किया जाना शामिल है.
अनुकरणीय व्यवहार, नैतिक कहानियों, व् नाटकों आदि द्वारा बालक का शिक्षण किया जाता है
बालक के जीवन से जुड़े हुए ज्ञान का शिक्षण करना
बालक की शिक्षा उद्देश्यपरक हो अर्थात बालक को दी जाने वाली शिक्षा बालक के उद्देश्य को पूर्ण करने वाली हो.
बालक की योग्यता और रूचि के अनुसार विषय-वस्तु का चयन करना
रचनात्मक कार्य जैसे हस्त कला आदि के द्वारा शिक्षण.
पाठ्यक्रम को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर शिक्षण



बाल केन्द्रित शिक्षा के अंतर्गत पाठ्यक्रम का स्वरुप

बाल केन्द्रित शिक्षा के पाठ्यक्रम में बालक को शिक्षा प्रक्रिया का केंद्रबिंदु माना जाता है. बालक की रुचियों, आवश्यकताओं एवं योग्यताओं के आधार पर पाठ्यक्रम तैयार किया जाता है. बाल-केन्द्रित शिक्षा के अंतर्गत पाठ्यक्रम का स्वरुप निम्नलिखित होना चाहिए:

पाठ्यक्रम जीवनोपयोगी होना चाहिए
पाठ्यक्रम पूर्वज्ञान पर आधारित होना चाहिए
पाठ्यक्रम बालकों की रूचि के अनुसार होना चाहिए
पाठ्यक्रम लचीला होना चाहिए
पाठ्यक्रम वातावरण के अनुसार होना चाहिए
पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय भावनाओं को विकसित करने वाला होना चाहिए
पाठ्यक्रम समाज की आवशयकता के अनुसार होना चाहिए
पाठ्यक्रम बालकों के मानसिक स्तर के अनुसार होना चाहिए
पाठ्यक्रम में व्यक्तिगत भिन्नता को ध्यान में रखा जाना चाहिए
पाठ्यक्रम शैक्षिक उद्देश्य के अनुसार होना चाहिए

बाल केन्द्रित शिक्षा में शिक्षक की भूमिका


शिक्षक का ध्येय बच्चों का चरित्र निर्माण करना तथा ऐसे मूल्यों को रोपना होना चाहिए जिससे कि उनके सीखने की क्षमता में वृद्धि हो। वे उनमें वह आत्मविश्वास पैदा करें कि छात्र कल्पनाशील और सृजनशील बन सके। इस रूप में छात्रों विकास ही उन्हें भविष्य की चुनौतियों का सामना करते हुए प्रतिस्पद्धा में उतारेगा। सामान्य प्रक्रिया में शिक्षक कुछेक सर्वोत्तम परिणाम देने वाले छात्रों की ओर आकर्षित होते हैं तथा और अधिक सफलता प्राप्त करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते रहते हैं। इसके विपरीत एक शिक्षक की अहम भूमिका यह है कि वह उन विद्यार्थियों की ओर ध्यान केन्द्रित करे जो पढ़ने में कमजोर हैं तथा उनमें बेहतर समझदारी एवं सीखने की प्रवृति विकसित करने का प्रयास करे। ऐसा शिक्षक ही वास्तविक गुरु होता है।



 शिक्षक, शिक्षार्थियों का सहयोगी व मार्गदर्शक होता है. बाल केन्द्रित शिक्षा में शिक्षक की भूमिका और बढ़ जाती है. बाल केन्द्रित शिक्षा में शिक्षक को:

बालकों का सभी प्रकार से मार्गदर्शन करना चाहिए तथा विभिन्न क्रिया-कलापों को क्रियान्वित करने में सहायता करना चाहिए
शिक्षा के यथार्थ उद्देश्यों के प्रति पूर्णतया सजग रहना चाहिए
शिक्षक का उद्देश्य केवल पुस्तकीय ज्ञान प्रदान करना मात्र ही नहीं होता वरन बाल-केन्द्रित शिक्षा का महानतम लक्ष्य बालक का सर्वोन्मुखी विकास करना है, अतः इस उद्देश्य की पूर्ती के लिए बालक की अधिक से अधिक सहायता करनी चाहिए
बाल केन्द्रित शिक्षा में शिक्षक को स्वतंत्र रह कर निर्णय लेना चाहिए कि बालक को क्या सिखाना है?

प्रगतिशील शिक्षा एवं शिक्षक

प्रगतिशील शिक्षा में शिक्षक को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. इसके अनुसार शिक्षक समाज का सेवक है. उसे विद्यालय में ऐसा वातावरण बनाना पड़ता है जिसमे पलकर बालक के सामाजिक व्यक्तित्व का विकास हो सके और जनतंत्र के योग्य नागरिक बन सके. विद्यालय में स्वतंत्रता और समानता के मूल्य को बनाये रखने के लिए शिक्षक को कभी भी बालकों से बड़ा नही समझना चाहिए. आज्ञा और उपदेशों के द्वारा अपने विचारों और प्रवृत्तियों को बालकों पर लादने का प्रयास नही करना चाहिए.

शैक्षिक सरोकारों के इतिहास में 1 अप्रैल 2010 सदैव रेखांकित होता रहेगा। यही वह दिन है जिस दिन संसद द्वारा पारित निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 देश में लागू कर दिया गया। शिक्षा के अधिकार की पहली मांग का लिखित इतिहास 18 मार्च 1910 है। इस दिन ब्रिटिश विधान परिषद के सामने गोपाल कृष्ण गोखले भारत में निःशुल्क शिक्षा के प्रावधान का प्रस्ताव लाये थे।
एक सदी बीत जाने के बाद आज हम यह कहने की स्थिति में हैं कि यह अधिनियम भारत के बच्चों के सुखद भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

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